कितना मधुर समय है . .. .. 2
जब मरा याशु मुझका
चरणों में है बिठाता
मुझको खाली करके
आत्मा से भरता जाता । (२)…
मुझको हरी हरी घास में चराता
जीवन जल भी पिलाता (२)
मुझको है बचाता
जीवन में सुख वह लाता । (२)
चाहे मैं घोर अन्धकार से चलूँ,
पानी से भी नडरूँ (२)
तेरी सोठी और लोठी से
मन मेरा शान्ति है पाता (२)
Kitana madhur samaya hai . .. .. 2
Jab mara yashu muzaka
Charaṇoan me hai biṭhata
muzako khali karake
atma se bharata jata । (2)…
mujhko hari hari ghas me
charata jivan jal bhi pilata (2)
mujhko hai bachata
jivan me sukh vah lata । (2)
Chahe main ghor andhakar se chalu,
pani se bhi naḍaru (2)
Teri soṭhi aur loṭhi se
man mera shanti hai pata (2)