Again The Lord of Light and Life

Again the Lord of light and life
Awakes the kindling ray,
Unseals the eyelids of the morn,
And pours increasing day.

O what a night was that which wrapped
The heathen world in gloom!
O what a Sun which rose this day
Triumphant from the tomb!

This day be grateful homage paid,
And loud hosannas sung;
Let gladness dwell in every heart,
And praise on every tongue.

Ten thousand different lips shall join
To hail this welcome morn,
Which scatters blessings from its wings
To nations yet unborn.

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फिर से प्रकाश और जीवन का भगवान

फिर से प्रकाश और जीवन के भगवान
जलते हुए किरण को जगाता है,
सुबह की पलकों को खोल देता है,
और दिन बढ़ता है.

ओ क्या रात थी जो लिपटी थी
उदास दुनिया!
हे क्या सूर्य जो इस दिन उठा
कब्र से विजयी!

इस दिन आभारी श्रद्धांजलि दी जाए,
और जोर से गाया गया होसनस;
खुशी को हर दिल में रहने दो,
और हर जीभ पर प्रशंसा.

दस हजार अलग-अलग होंठ जुड़ेंगे
इस स्वागत योग्य सुबह की जय हो,
जो अपने पंखों से आशीर्वाद प्राप्त करता है
राष्ट्रों के लिए अभी तक अजन्मे हैं.

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