Bride of the Lamb, awake, awake!
Why sleep for sorrow now?
The hope of glory, Christ, is thine,
A child of glory thou.
Thy spirit, through the lonely night,
From earthly joy apart,
Hath sighed for One that’s far away—
The Bridegroom of thy heart.
But see! the night is waning fast,
The breaking morn is near;
And Jesus comes, with voice of love,
Thy drooping heart to cheer.
He comes—for oh, His yearning heart
No more can bear delay—
To scenes of full unmingled joy
To call His bride away.
Then weep no more; ’tis all thine own
His crown, His joy divine;
And, sweeter far than all beside,
He, He Himself is thine!
मेमने की दुल्हन, जागो, जागो!
अब क्यों सोये ग़म के लिए ?
महिमा की आशा, मसीह, तेरा है,
महिमा का एक बच्चा।
तेरी आत्मा, एकांत रात के माध्यम से,
सांसारिक आनंद से अलग,
जो दूर है, उसके लिए हाथ ने आह भरी—
तेरे दिल का दूल्हा।
लेकिन देखो! रात तेजी से घट रही है,
टूटने की सुबह निकट है;
और यीशु आता है, प्रेम की आवाज के साथ,
तेरा झुकता हुआ हृदय हर्षित करने के लिए।
वह आता है—ओह के लिए, उसका तड़पता हुआ हृदय
अब और देरी नहीं सह सकते-
पूर्ण बेमिसाल आनंद के दृश्यों के लिए
अपनी दुल्हन को दूर बुलाने के लिए।
फिर रोना नहीं; ‘यह सब तुम्हारा अपना है’
उनका ताज, उनका आनंद दिव्य;
और, सब से अधिक मीठा,
वह, वह स्वयं आपका है!