यीशु है मेरा मुक्तिधाम,
उसमें मैं पाता पुरा विश्राम
आए विपत्ति, चाहे तूफांन,
उसमे मै पाता शरणस्थान….2.
पापों की लहरों से घिरा हुआ था,
न कोई मंजिल और न किनारा,
वह आया बनकर मेरा सहारा,
पापों की लहरों से मुझे उबारा।
जीवन था मेरा पाप की खाई,
सम्पूर्ण निराशा राहें अंधेरी….2.
क्रुसकी ओर जब दृष्टी उठाई,
किरण जीवन की हृदय मे आई।
अब कोई डर नही और न निराशा,
यीशु ही केवल धन्य आशा
शिघ्र वह आए लेने मुझे,
ये ही है दिल की अभीलाषा ।
Yishu hai mera muktidhama,
usame main pata pura vishrama
ae vipatti, chahe tufaanna,
usame mai pata sharanasthanaa….2.
papon ki laharon se ghira hua tha,
n koi manjil aur na kinara,
woh aya banakar mera sahara,
papon ki laharon se mujhe ubara।
Jivan tha mera pap ki khai,
sampurna nirasha rahe aandheri….2.
Kruski or jab d rushti uthai,
Kiran jivan ki h rudaya me ai।
ab koi dar nahi aur na nirasha,
Yishu hi keval dhanya asha
shighra woh ae lene mujhe,
Ye hi hai dil ki abhilasha ।