Almighty Maker of my frame!
Teach me the measure of my days,
Teach me to know how frail I am,
And spend the remnant in Thy praise.
My days are shorter than a span,
A little point my life appears;
How frail at best is dying man!
How vain are all his hopes and fears!
Vain his ambition, noise and show;
Vain are the cares which rack his mind;
He heaps up treasures mixed with woe,
And dies and leaves them all behind.
O be a nobler portion mine!
My God, I bow before Thy throne;
Earth’s fleeting treasures I resign,
And fix my hope on Thee alone.
मेरे फ्रेम के सर्वशक्तिमान निर्माता!
मुझे मेरे दिनों का माप सिखाओ,
मुझे यह जानना सिखाएं कि मैं कितना कमजोर हूं,
और तेरा प्रशंसा में अवशेष खर्च करते हैं.
मेरे दिन एक अवधि से कम हैं,
थोड़ा सा बिंदु मेरा जीवन प्रकट होता है;
कैसे सबसे अच्छा आदमी मर रहा है!
उसकी सारी आशाएँ और भय कितने व्यर्थ हैं!
उसकी महत्वाकांक्षा, शोर और दिखावा;
व्यर्थ वे परवाह हैं जो उसके दिमाग को रैक करते हैं;
वह कहर के साथ मिश्रित खजाने को ढेर करता है,
और मर जाता है और उन सभी को पीछे छोड़ देता है.
ओ एक रईस भाग मेरा हो!
मेरे भगवान, मैं तेरा सिंहासन से पहले झुकता हूं;
पृथ्वी के क्षणभंगुर खजाने से मैं इस्तीफा देता हूं,
और अकेले ही मेरी आशा को ठीक करो.