Building day by day
We are building in sorrow, and building in joy,
A temple the world cannot see;
But we know it will stand if we found it on a rock,
Thro’ the ages of eternity.
We are building day by day
As the moments glide away,
Our temple which the world may not see;
Every victory won by grace
Will be sure to find its place,
In our building for eternity.
Every deed forms a part in this building of ours,
That is done in the name of the Lord;
For the love that we show and the kindness we bestow,
He has promised us a bright reward.
Then be watchful and wise, let the temple we rear
Be one that no tempest can shock
For the Master has said, and He taught us in His Word,
We must build upon the solid rock.
दिन-ब-दिन निर्माण
हम दुख में निर्माण कर रहे हैं, और आनंद में निर्माण कर रहे हैं,
ऐसा मंदिर जिसे दुनिया नहीं देख सकती;
लेकिन हम जानते हैं कि अगर हम इसे चट्टान पर पाएंगे, तो यह खड़ा रहेगा,
थ्रो ‘अनंत काल की उम्र।
हम दिन-ब-दिन निर्माण कर रहे हैं
जैसे-जैसे पल गुज़रते जाते हैं,
हमारा मंदिर जिसे दुनिया नहीं देख सकती;
कृपा से जीती हर जीत
अपनी जगह ज़रूर मिलेगी,
अनंत काल के लिए हमारे भवन में।
हमारे इस भवन में हर कर्म का हिस्सा है,
वह यहोवा के नाम से किया जाता है;
उस प्रेम के लिए जो हम दिखाते हैं और उस दया के लिए जो हम प्रदान करते हैं,
उसने हमें एक उज्ज्वल इनाम का वादा किया है।
तब चौकस और बुद्धिमान हो, हम जिस मन्दिर को पालें
ऐसा बनो कि कोई तूफ़ान झकझोर न सके
क्योंकि स्वामी ने कहा है, और उसने हमें अपने वचन में सिखाया है,
हमें ठोस चट्टान पर निर्माण करना चाहिए।