Christ will gather in His own

Christ will gather in His own
To the place where He is gone,
Where their heart and treasure lie,
Where our life is hid on high.

Day by day the voice saith, “Come,
Enter thine eternal home”;
Asking not if we can spare
This dear soul it summons there.

Had He asked us, well we know
We should cry, “O spare this blow!”
Yes, with streaming tears should pray,
“Lord, we love him, let him stay.”

But the Lord doth naught amiss,
And, since He hath ordered this,
We have naught to do but still
Rest in silence on His will.

Many a heart no longer here,
Ah! was all too inly dear,
Yet, O Love, ’tis Thou dost call,
Thou wilt be our All in all.

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मसीह अपने आप में इकट्ठा होगा
उस स्थान पर जहां वह चला गया है,
जहां उनका दिल और खजाना है,
जहाँ हमारा जीवन ऊँचे पर छिपा है।

दिन-ब-दिन आवाज कहती है, “आओ,
अपने शाश्वत घर में प्रवेश करें”;
नहीं पूछ रहा है कि क्या हम बख्श सकते हैं
यह प्रिय आत्मा इसे वहाँ बुलाती है।

अगर उसने हमसे पूछा होता, तो हम जानते हैं
हमें रोना चाहिए, “ओ इस आघात को बख्श दो!”
हाँ, बहते आंसुओं के साथ प्रार्थना करनी चाहिए,
“भगवान, हम उससे प्यार करते हैं, उसे रहने दो।”
[उसे उपयुक्त होने पर प्रतिस्थापित करें]

परन्तु यहोवा कुछ भी गलत नहीं करता,
और, जब से उसने यह आदेश दिया है,
हमारे पास करने के लिए कुछ नहीं है लेकिन फिर भी
उसकी इच्छा पर मौन में विश्राम करें।

बहुतों का दिल अब यहाँ नहीं है,
आह! बहुत प्रिय था,
फिर भी, हे प्रेम, तू पुकारता है,
आप हमारे सब कुछ होंगे।

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